आसपास की निर्जीव चीजों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद


कलम का कॉपी से संवाद


खिड़की का दरवाजे से संवाद


चॉक का ब्लैकबोर्ड से संवाद

ब्लैकबोर्ड का चॉक से संवाद-


आज तुम यह बताओ कि बच्चों को कौन सा पाठ लिखकर समझाओगे?


चॉक- अरे मुझे क्या पता? थोड़ी देर में सामाजिक विषय वाली टीचर आएंगी। मैंने उन्हें कल कहते हुए सुना था कि आज शायद वह आने वाले चुनाव के बारे में बात करें।


ब्लैकबोर्ड- अरे हां! मैं तो बिल्कुल भूल ही गया था। लोकसभा चुनाव के लिए पहली वोटिंग 11 अप्रैल को है।


चॉक- तुम्हें तो सब पता है। अब ये बताओ कि तुम किस पार्टी को अपना मत दोगे?


ब्लैकबोर्ड- तुम्हें पता नहीं है क्या वोट देकर बताते नहीं है। इसलिए मैं तुम्हें क्यों बताऊं कि मैं किसे वोट दूंगा। जो पार्टी जीतेगी समझ जाना मैंने उसे ही वोट दिया है। तुम्हें 23 मई का इंतजार करना पड़ेगा जिस दिन मतों की गणना होगी।


कलम का कॉपी से संवाद-


कॉपी- (कलम देखकर) साल भर मेरे ऊपर बच्चे लिखते रहते हैं बहुत थकान महसूस हो रही है।


कलम- अरे! परेशान मत हो। अगले महीने से बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां हो जाएंगी। तब तुम्हें और मुझे दोनों को कुछ दिनों के लिए आराम मिल जाएगा।


कॉपी- यार मैं तो अभी से सोच-सोचकर खुश हो रहा हूं।


खिड़की का दरवाजे से संवाद-


खिड़की- (दरवाजें से) हर साल ये लोग मेरा रंग बदल देते हैं। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। तुम क्या सोचते हो?


दरवाजा- मुझे तो अच्छा लगता है। कम से कम हर साल नए तो लगने लगते हैं। जो बात नए पेंट में आती है वह पुराने दरवाजों में कहां आएगी।


खिड़की- वैसे तो तुम ठीक ही कह रहो हो। बस मैं यह चाहती हूं कि एक बार पेंट करवाने से पहले मुझसे यह जरूर पूछ लें कि मुझे कौन सा रंग पसंद है। ऐसा करने से वह भी खुश और मैं भी।


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